Sunday, March 30, 2014

Ishq Dariya Hai

मेरी दुवाओं में, मेरी सदाओं में,
हर वक़्त रहे वो शख्स शामिल,
ऐ खुदा, गर वज़ूद है तेरा कहीं,
तो तुझसे बस ये इल्तिज़ा है मेरी!!


न ये जहां चाहिए न वो जहां,
मुझे मिले तो बस मेरा प्यार मिले,
न मिल सके तो कोई बात नहीं,
जहाँ रहे उसे क़ायनात की हर ख़ुशी मिले!!


मैं प्यार करता हूँ उससे, जरुरी तो नहीं,
की वो भी मुझसे प्यार करे,
जो करे भी तो करता रहे,
कोई जरुरी तो नहीं की इक़रार भी करे!!


मेरी मुफलिसी, मेरी दीवानगी पे,
खुद मुझको भी तरस आता है,
पर वक़्त शय ही है ऐसी,
इंसान को कैसे कैसे नज़ारे दिखाता है!!


उसको ज़िद है की भूल जाए मुझको,
हक़ है की अपने ज़ेहन से मिटाये मुझे,
मेरी नज़रों के सामने उतरे हैं सारे गुनाह मेरे,
उसकी जुदाई ही है जो सज़ा, तो क़ुबूल है मुझे!!


मुझे मेरी जान से भी प्यारा है वो,
मेरे ज़िंदा रहने का बस एक ही सहारा है वो,
हो सकता है इस बात का न हो इल्म उसको,
इसीलिए मुझसे दुश्मनों की तरह पेश आता है वो!!

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