Sunday, December 9, 2007

Namaaz Padho Ki Isse Pehley

वो नूर नहीं मिलता
चाँद सितारों में


जो नूर चमकता है
मदीने की मीनारों में


💞💞💞💞💞💞💞💞💞


और अजमेर के दरबार से
आती है ये आवाज़


मरते हैं जो मौला पे
वो जिंदा हैं मजारों में


💞💞💞💞💞💞💞💞💞


मोहम्मद मुस्तफा सा
कोई दाता हो नहीं सकता


वहां से कोई ख़ाली आये
ऐसा हो नहीं सकता
💞💞💞💞💞💞💞💞💞


रसूल-ए-पाक को हमने
खुदा का नूर माना है


हमारी कब्र में हरगिज़ अँधेरा
हो नहीं सकता


💞💞


जमाल-ओ-हुस्न वाले तो
बहुत आयें हैं दुनिया में


मगर कोई मेरे सरकार जैसा
हो नहीं सकता


💞💞💞💞


ज़मीन-ए-हिन्द पर अब भी
मेरे ख्वाजा का कब्ज़ा है


यहाँ इनके अलावा कोई
राजा हो नहीं सकता
💞💞


करे गुस्ताखियाँ जो शख्स
शान-ए रिसालत में


कसम अल्लाह की वो
मुसलमाँ हो नहीं सकता

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