हर ख़ुशी माना ज़माने तेरे अफ़साने में है
वो मज़ा लेकिन कहाँ जो दिल के लुट जाने में है
बात करती है फक़त दुनिया वफ़ा में मिटने की
दम अगर जलने का है तो सिर्फ़ परवाने में है
चीर कर तूफां चला वो पाने अपने प्यार को
देखते हैं आज कितना जोश दीवाने में है
शमअ कहती है बचा ले ख़ाक खुद को होने से
और परवाना कहे क्या लुत्फ़ जल जाने में है
एक सच है बांधना होगा जिसे पल्ले “विजय”
हार है चुप बैठने पर जीत लड़ जाने में है
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